सोमवार, 7 दिसंबर 2009

May i take a leave

May I take a leave
Oh god
Its miserable
The seconds and the minutes

Dear God,
I have never lost
The faith in you
Though I feel
I am alone
Every second every minute

You sent me an angel
So sweet
So good to me
I could not care her
Now I am alone
May I take a leave
I seek mercy

रविवार, 6 दिसंबर 2009

Dont expect, be happy

When a mountain of expectations are broken
With a minor offense
With a slight injury
It hurts lots of surround,
a tiny puncture
in the balloon of hopes
empties everything in no time.

a wound at heart can be filled
But a sting on the spirit
Lives years & years

Compulsions are in relationships
Which makes to bow the self
until then stays distances
while no bends
In my eyes it's commitment to bend
In a good purpose
Be merged into the ocean like a fickle river
this bow is dedication to love
Love is where there is dedication,
Union with the divine soul
Is a result of bending,
And thus you get rid of the prick of the soul
Why such big mountains
do Stand So high
Not worthy of a mild little hurt
don’t expect a lot ,
But be happy

शनिवार, 5 दिसंबर 2009

ना उम्मीद रहो, खुश रहो

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

उम्मीदों का पहाड़ जब टूटता हैं
एक छोटी सी ठोकर से
एक हलकी सी चोट से
बहुत कुछ टूटता हैं
अरमानो की गठरी
एक छोटे से छेद से
भरभरा कर खाली हो जाती हैं
दिल पर लगा जख्म भी भर जाता हैं
पर आत्मा पे लगी सुई की नोक
चुभती रहती हैं सालो साल
स्वाभिमान झुक तो जाता हैं
रिश्तो में मजबूरियां होती हैं
और जब तक नही झुकता
तब तक दूरियां ही रहती हैं
मेरी नजर में ये झुकना समर्पण हैं
एक अच्छे प्रयोजन में
जैसे किसी चंचल नदी का सागर में विलय होना
जहाँ प्रेम हैं वहां समर्पण हैं
विलय हैं
आत्मा का परमात्मा से मिलन
झुकने का ही नतीजा होता हैं,
तभी निजात मिलती हैं
आत्मा को उस सुई की नोक की चुभन से
इतने बड़े पहाड़ क्यूँ खड़े करते हो
इतने ऊंचे ऊंचे
जो एक हलकी सी ठेस के काबिल नही
ना उम्मीद ही रहो
पर खुश रहो





शनिवार, 21 नवंबर 2009

दो लफ्ज

दो लफ्ज ही काफ़ी थे
देने को तसल्ली यार
तुम्हे वक्त न मिला, हमें अल्फाज ना मिले।

कुछ घोर घने जंगल
कुछ घोर घनी आँधी

हमने कहाँ आजमाया,
कुदरत की आजमाइश थी ,

अब तुम हारे या हम हारे,
हारना हमारी किस्मत थी,
हम प्यार के जज्बे क्या जाने,
व्यापार हमारी फितरत थी।

सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

बह जाने दो

तेरी खामोश आवाज सुनने की कोशिश करता रहा .
प्रयत्न से
सुनना साँसों को.
और थाह लेना भारी मन की.
गहरी ठंडी साँसों से पहुचना.
ह्रदय के उस कोने तक.
जहाँ दर्द सिमटा हुआ हैं.
शायद बहना चाहता हैं .
तरल बनकर आँखों से .
बह जाने दो .
रोको मत .
वो अपना नहीं हैं .
जाया मत करो अपना प्रयत्न .
उसको समेटने में जो चुभता हैं.
मन को हल्का करना सार्थकता हैं .
खोने का गम कुछ पाने की ख़ुशी से,
कम तो नहीं होता पर ,
आँखे बंद रखो तो अँधेरा होता हैं ,
दिन और रात से बे परवाह,
सामने सबेरा तुम्हे पुकार रहा हैं ,
नयी सुबह, नयी राह, नयी मंजिल ,
बस जरूरत हैं आँखें खोलने की,
जरूरत हैं पार पाने की व्यथा से ,
मुझे भी पता हैं आसान नहीं हैं ,
आसान तो ये भी नहीं हैं,
तिल तिल जलना