सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

बह जाने दो

तेरी खामोश आवाज सुनने की कोशिश करता रहा .
प्रयत्न से
सुनना साँसों को.
और थाह लेना भारी मन की.
गहरी ठंडी साँसों से पहुचना.
ह्रदय के उस कोने तक.
जहाँ दर्द सिमटा हुआ हैं.
शायद बहना चाहता हैं .
तरल बनकर आँखों से .
बह जाने दो .
रोको मत .
वो अपना नहीं हैं .
जाया मत करो अपना प्रयत्न .
उसको समेटने में जो चुभता हैं.
मन को हल्का करना सार्थकता हैं .
खोने का गम कुछ पाने की ख़ुशी से,
कम तो नहीं होता पर ,
आँखे बंद रखो तो अँधेरा होता हैं ,
दिन और रात से बे परवाह,
सामने सबेरा तुम्हे पुकार रहा हैं ,
नयी सुबह, नयी राह, नयी मंजिल ,
बस जरूरत हैं आँखें खोलने की,
जरूरत हैं पार पाने की व्यथा से ,
मुझे भी पता हैं आसान नहीं हैं ,
आसान तो ये भी नहीं हैं,
तिल तिल जलना

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लेख है। ब्लाग जगत मैं स्वागतम्।

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  2. स्वागत और शुभकामनाये , अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और अपने सुन्दर विचारों से सराहें भी

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  3. wel come
    सामने सबेरा तुम्हे पुकार रहा हैं ,
    नयी सुबह, नयी राह, नयी मंजिल ,
    बस जरूरत हैं आँखें खोलने की,
    जरूरत हैं पार पाने की व्यथा से ,
    ome

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  4. खोने का गम कुछ पाने की ख़ुशी से,
    कम तो नहीं होता पर ,
    आँखे बंद रखो तो अँधेरा होता हैं ,
    आपकी शुरूआत बहुत अच्छी है । बधाई एंव शुभकामाएं ।

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  5. तरल बनकर आँखों से .
    बह जाने दो .
    रोको मत .
    वो अपना नहीं हैं

    ओके , बहने दो आखिर जाकर मिलेगा सागर से. यही उसकी नियति है

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  6. तरल बनकर आँखों से .
    बह जाने दो .
    रोको मत .
    वो अपना नहीं हैं .


    Owsome...Aksar bheed mein wo kho jate jinko hum tanhai mein paate hai...jab koi nahi hota to hounsla dene chale aate hai ..kaise keh de ki ye apne nahi.. ye tere ansoon hi to tere apne hai... yahi to apne hai.

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  7. आप सभी का हार्दिक धन्यवाद / रचना पढने के लिए और सराहने के लिए /

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